Tuesday, 1 March 2016

छोड़ दिया

'थिंक आउट ऑफ़ द बॉक्स '

'ड्रीम '

'मूव आउट ऑफ़ द कम्फर्ट जोन '

'टच द स्काई '

'लिस्टन टू योरसेल्फ '

सब निरर्थक लगने लगा जब  मेरी 'सरनेम ' हटाने की बात पर पिता जी ने 'उनके' नाम को भी ना लगाने का फरमान जारी कर दिया।  अपनी पीढ़ी , अपना कुल और अपनी आइडेंटिटी हटती हुई दिखने लगी उन्हें।

मैंने सोचा नहीं था ये इतना गंभीर विषय हो सकता है।

हाँ अलग ज़रूर है।

फिर मैंने गहरी सांस लेकर विषय को खींचना उचित नहीं समझा, जाने दिया। छोड़ दिया ...ऊपर वाले पर। 

Friday, 12 September 2014

माँ


दिखने में तो वैसी ही लग रही थी सब्जी, चखने पर माँ के हाथ का स्वाद गायब था!
ओनली मदर नोस  हाउ टू गिव 'स्वाद की झप्पी'


बचपन रिवाइंड


वो छत में खड़े होकर आसमान पर बगुलों की फ़ौज का इंतज़ार करना; दिखने पर हाथ ऊपर कर 'बगुला बगुला दूध दे' का तीव्र गति से मंत्रोच्चार करना,तत-पश्चात अपने नाखुनो में दूध की बूँद को खोजना - किसी चमत्कारी शोध से काम ना था!

बड़ी ही विकट स्थिति


कभी आप किसी को अपना दुखड़ा सुनाने के लिए फुल इमोशंस के साथ फ़ोन करो और पता चलता है की सामने वाला अपने ' भीगे हुए जज़्बात' आपको पहले ही परोसने लगता है ..! बड़ी ही विकट  स्थिति होती है !

जून -जुलाई अपडेट

वो पल जब हम उछलकर मित्र की फेसबुक प्रोफाइल पिक्चर को सुपर लाइक करने जाते हैं और वह प्राइवेसी सेटिंग की वजह से खुलती नहीं है| सल्लू की किक से ज्यादा किक्ड महसूस करते हैं ! 

अकल देने वालों से अक्सर लोग बचते हैं, और गधे उनको जचते नहीं। तो फिर बचा कौन! 

धारणाओं से नहीं, जीवन भावनाओं एवं एहसासों से खिलता है। ...कहीं ये भी तो कोई धारणा नहीं !

अंग्रेज, भुवन और लॉर्ड्स का मैदान। Ashutosh Gowariker this is the best time to go for Lagaan-2.

ये तो वैदिक जी का प्रताप है जो उन्होंने ईद के पहले ही सल्लू मिया की "किक" का ट्रेलर दिखा दिया - कुछ तूफानी कर के !

नरेंद्र मोदी ब्रिक्स क्या गए , केजरीवाल साब पत्थर बरसाने लगे ! ईंट का जवाब पत्थर से का भैय्ये ?..लगता है कड़क मानसून होने को है दिल्ली में.

अगर अच्छे स्वास्थ के लिए 'कपाल भाती' तो उत्तम हास्य के लिए 'कपिल भारती'

जब माँ के ढूंढने पर भी ना मिले, तो उस वस्तु  को गुमशुदा सूची से भी हटा देना चाहिए ! 

भाषाओं का राजनीति'-करण करने के बजाय, भाषाओं के 'रजनी'कांत-करण पर ध्यान देना चाहिए.

अगस्त माह की कुछ बातें (अपडेट )

करीब एक घंटे से मोबाइल डेटा को ऑफ - आन कर के वाट्स-एप्प चेक कर रहे थे पर 'उनका' स्टेटस ही लोड नहीं हो रहा था। काफी मशक्कत के बाद दिमाग की बत्ती जली और पता चला की 'उनका' स्टेटस ही 'लोडिंग....' था !
~ उफ्फ्फ ये बस गॉसिप्स


केजरीवाल'स रिप्लाई आन मोदी'स - 'न खाऊंगा और न खाने दूंगा' स्टेटमेंट.' ~' न गाऊंगा और न गाने दूंगा' ~

अगस्त मंथ १.दोस्त दिवस. २.भाई-बेहेन दिवस ३.स्वतंत्रता दिवस ४.जन्म(अष्टमी) दिवस ~ लुक्स लाइक फिलासफी ऑफ़ डीटेचमेंट

पानी की आड़ में चप्पल और रास्ते हमारी बुराई करते हैं..! आच्छी!

अवचेतन मन की हाफ गर्लफ्रेंड

जवाब में छिपे प्रश्नो की कतार रोमांचित करती है अक्सर..!

समाज. समझ. शांति. तीन ना मिलने वाले रास्ते!

अगस्त-सितम्बर की बातें

'बहिन मैं तो बस यही गिनती रहती हूँ की संडे को और कितने दिन बचे हैं'


आज फेसबुक पर - 'महाबली ट्रेंडिंग' हैप्पी ओणम

राहुल गांधी का शिक्षक दिवस से एक दिवस पूर्व दिया 'ढोल वाला' बयान ऐसा ही है जैसे किसी छात्र का एक लम्बे अरसे बाद कक्षा में आना और टीचर का खराब फीडबैक देना! 

ये छोटी छोटी बातों को देखा जाए तो कोई मायने नहीं. पर साथ मिलकर बांटो तो पता चलता है सब की ज़िन्दगी कितनी एक सी है !

जा-'पान' बना-'रस' वाला ! 

जे आइस बकेट चैलेंज का दर्द उनसे पूछिये जिनके यहां सुबह नल के नीचे लगे खाली बकेट शांत धरना देते हैं और उनसे 'कोई' पूछने भी नाही आता है !

ऐसा क्यूँ होता है कि हमें अपने से ज्यादा दूसरों के डब्बे का अचार पसंद आता है! 

कल : सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं। 
आज : आप सर उठा कर चलते हैं इसका मतलब है की आपके मोबाइल में ऍफ़-बी या वाट्स-एप नहीं है!

A : अच्छा ये बता तूने क्या सोच कर मैकेनिकल लिया ? 
B : बस वही जिसे सोचकर तूने इलेक्ट्रॉनिक्स लिया ! 
~ इंजीनियरिंग के शुरूआती दिन


Saturday, 24 May 2014

अनुभव

९:४५ am, जबलपुर 

जीवन में घटित होने वाली हर एक घटना हमें अराजकता  या अव्यवस्था या उथल -पुथल से शान्ति की ओर  ले जाती है।मानो जैसे  हर एक दिन हमें और अधिक आशावादी बनाने के लिए आता है।  अनुभव उम्र का नहीं, अनुभव मौन का होता है।  हम कितनी हल-चलों को चीर कर मौन के चित्त में आकर समाये हैं - अनुभव उसका होता है ! 


Friday, 4 April 2014

सतर्क होने की ज़रुरत है!


कल की खबर है , इंजीनियरिंग द्वितीय वर्ष के एक छात्रा की कॉलेज आते समय ट्रक के नीचे आने से मौत हो गयी।  छात्रा तेज़ी से ट्रक को ओवरटेक करने के चक्कर में ट्रक की चपेट में आ गयी और दुर्घटना स्थल पर ही उसकी मौत हो गयी।  

ये खबर सुनकर मैं अंदर से हिल गयी थी। एक तो नवरात्र चल रही हैं , लड़की परिवार से दूर रह कर पढ़ रही थी। क्या गुज़री  होगी परिवार पर... ये ख्याल ही मेरे अंतर्मन को  हिला देता है! 

किसी ने सही कहा है - जिनको जल्दी थी वो चले गए !! 

इतनी भागती दौड़ती ज़िन्दगी को ब्रेक लगाने की ज़रुरत है।  कोलाहल के बीच ठहरने की आवश्यकता है। लाउडस्पीकर सी ज़िन्दगी को चिंतन की ज़रुरत है। 

आजकल मैं देखती हूँ की स्टूडेंट्स कान में हैडफ़ोन लगाए गाड़ी चलाते हैं। और तो और ये रेसिंग का भाव बच्चों में अंगड़ाई लेता रहता है! कहीं पर पहुंचना हो तो समय की नोक पर चलने की आदत… कितनी बड़ी घटना में परिवर्तित हो सकती है …इस विषय पर सोचने की आवश्यकता है। 

ये मल्टीटास्किंग करने की आदत हमको बदलने की सख्त ज़रुरत है.… ! 

भाग  मिल्खा से  शांत झील होने की  ज़रुरत है।  

 ….... सतर्क होने की ज़रुरत है!

Monday, 17 March 2014

भीगी


मेरे पास ना ही रंग है और ना ही रंगों से भरी पिचकारी 
पर फिर भी 
रंग से भीगी हुईं हूँ 

तेरे प्रीत के !